करना हैं निर्माण हमें नवभारत का निर्माण- हमें हमारी देश की जग में बढानी होगी शान- यही हमारी सब धरती हो खेतो में हरियाली- फूल-फलों से झूम रही हो वन-वन डाली-डाली- नदी-नहर सरवर बरखा से जल से बरसे धान- हिमगिरि के ऊँचे शिखरों पर फूल चढाने जाएं- रत्ना करके अतुल नियत नित खोज के रत्नों पाएं- गाएं वनकुंजो की मनहर सुन्दरता के गान- कोई न भेद रहे आपस में हम सब भाई-भाई- भारत की सब संतानों में सच्ची प्रेम-भलाई- सत्य-अहिंसा के प्रण से पत्थर से प्रगटे प्राण- रचना: पिनाकिन ठाकोर स्वरांकन: कुमार पंड्या